Sunday, April 26, 2020

पहली पीढ़ी - First Generation - by Ijeoma Umebinyuo - Hindi Translation

उन सुरक्षा कर्मियों के लिए जिनके पास दूसरे देशो में शायद डिग्री थी। उस मैनीक्योर करने वाली के लिए जिसे अपना परिवार छोड़ कर यहां आना पड़ा, नाखूनों को पेंट करने, अजनबियों के पैर साफ़ करने। उन सफाईकर्मियों के लिए जो अंग्रेजी ना जानते हुए भी अपना काम पूरी मेहनत से करते हैं। उस फास्ट फ़ूड कर्मचारी के लिए जो अपने परिवार को मुस्काते देखने के लिए काम करता है। मैरियोट के उस धोबी के लिए जिसने अपनी चमकती आँखों से मुझे बताया की कैसे वो पेरू में एक इंजीनियर था।

उस तुर्किश सूफी बस ड्राइवर के लिए जो ख़ुशी से झूम उठा जब मैंने उसे रूमी को सुनाया। उन किसानो के लिए जो इस भय में जीते हैं कि उन्हें कभी भी अपने देश वापस भेज दिया जायेगा अपनी आने वाली पीढ़ी के लिए नया रास्ता बनाने के लिए। नाइजीरिया, घाना, मिस्त्र, और भारत के टैक्सी ड्राइवरों के लिए जो आपस में ही गप्पें मारते रहते हैं।

 उनके लिए जो सुबह चार बजे उठ के फोन करते हैं अपने प्रिय लोगो की आवाज सुनने के लिए। उनके बच्चों के लिए, बच्चे जो इस सब के बावजूद कलाकार, लेखक, अध्यापक, डॉक्टर, वकील, समाज सेवी और बागी बने है। अंतर्राष्ट्रीय पैसे भेजने के लिए। घर को कभी ना भूल जाने के लिए।

उनके बच्चो के लिए जो सोते हुए भी अपने दिलो में अपनी मातृभूमि की धड़कने जिन्दा रखते हैं, और गर्व से अपने पिताओं के बारे में बात करते हैं। आगे बढ़ते रहो।

- इजिओमा उमेबिनयुओ

Translated from English from the book - Questions for Ada

Ijeoma is a celebrated feminist author from Nigeria. She writes amazingly about the pain woman have to go through in the man's world in her book, Questions for Ada. This is definitely a book most young girls would connect to.
This particular poem is about her immigrant experience in London.

Saturday, April 25, 2020

एक परिचय - An Introduction - by Kamala Das - Hindi Translation

मैं राजनीति नहीं जानती परन्तु मुझे नाम पता हैं
जो सत्ता में हैं, और मैं उनके नाम दुहरा सकती हूँ
जैसे की हफ्ते के दिनों के नाम, या महीनो के नाम, नेहरू से शुरू करते हुए। 
मैं भारतीय हूँ, कृष्णवर्णी , मालाबार में जन्मी
मैं तीन भाषाएँ बोलती हूँ , लिखती हूँ
दो में, और सपने एक में देखती हूँ।
अंग्रेजी में मत लिखो, उन्होंने कहा, अंग्रेजी
तुम्हारी मातृ भाषा नहीं है। क्यों मुझे नहीं छोड़ देते
अकेले, आलोचक, मित्र, और मिलने आये चचेरे भाई बहन,
तुम सब लोग? क्यों नहीं मुझे बोलने देते
जो भाषा मैं चाहूँ? जो भाषा मैं बोलती हूँ
वो मेरी बन जाती है, इसके विरूपण, इसकी विलक्षणता
सब मेरे हैं, सिर्फ मेरे।
ये आधी अंग्रेजीयत है, आधी भारतीयता, शायद हास्यजनक, पर ये सच है
ये उतनी ही मानवीय है जितनी की मैं, क्या तुम्हें
नहीं दीखता? ये आवाज बनती है मेरी खुशियों की, मेरी लालसाओं की, मेरी
आशाओं की, और ये मेरे लिए उतनी ही कामदार है जितनी की काँव काँव
कौवों के लिए और दहाड़ शेरों के लिए, ये
मानवीय भाषा है, भाषा उस मानस की जो
इधर है और उधर नहीं, मानस जो देखता है, जो सुनता है और
जो जागरूक है. ये बहरी, अंधी भाषा नहीं है उन
आंधी में वृक्षों की या मानसून के मेघो की या वर्षा की या     
असंगत बुदबुदाहट जलती हुई
चिता के ढेर की। मैं बच्ची थी, और फिर उन्होंने
मुझे बताया की मैं बड़ी हो गयी हूँ, क्योकि मैं लम्बी हो गयी थी, मेरे अंग
सूज गए थे और एक दो जगह पर बाल उग गए थे।
जब मैंने उनसे स्नेह माँगा, ना जानते हुए की और क्या मांगू
तो वो ले आये एक सोलह साल का लड़का
शयनकक्ष में और दरवाजे बंद कर दिए, उसने मुझे मारा नहीं
परन्तु मेरा दुखी महिला शरीर पिटा हुआ सा महसूस किया।
मेरे स्तनों और मेरी गर्भ के भार ने मुझे कुचल दिया
और मैं बेचारी सी कंपकंपा गयी।
तब... मैंने एक कमीज पहन ली और अपने
भाई का पजामा, बाल छोटे काट दिए, और नजरअंदाज कर दिया
अपना स्त्रीत्व। साड़ी पहनो, लड़की बनो,
पत्नी बनो, उन्होंने मुझे बताया। कड़ाई करो, रसोई देखो,
नौकरो से झगड़ो। हिसाब से रहो। जहाँ तुम्हारी जगह है
वहां रहो, नियम बनाने वाले चिल्लाये। दीवारों पर नहीं
बैठना और हमारी किनारीदार खिड़कियों से बाहर झलक नहीं दिखाना।
एमी बनो, या कमला बनो। या इससे अच्छा
माधवीकुट्टी बने रहो। समय आ चुका है
कि एक नाम पसंद कर लो, और एक भूमिका। बहानो के खेल नही खेलो।
पागलपन और उन्माद में ना रहो। प्यार में ठोकर खाकर
शर्म से दहाड़ के ना रोओ... मैं एक आदमी से मिली , उसे प्यार किया। उसे
किसी एक नाम से ना बुलाओ, वो हर एक आदमी है
जो चाहता है एक औरत, उसी तरह जैसे मैं हूँ  हर एक
औरत जो खोजती है प्यार। उसमें... भूख नदियों
के जल्दबाजी सी, मुझमें... सागर का अथक
इन्तजार। तुम कौन हो, मैं सबसे पूछती हूँ ,
सबका जवाब यह है कि, मैं मैं हूँ।  सब जगह और,
हर जगह, मैं देखती हूँ उसे जो खुद को मैं कहता है
इस दुनिया में, वो अच्छे से बंधा हुआ है जैसे कि
तलवार अपनी म्यान में। मैं हूँ जो अकेले पीती हूँ
शराब बारह बजे, आधी रात को, अजीब शहरों के होटलों में,
मैं हूँ जो हंसती हूँ, मैं हूँ जो प्रेम करती हूँ
और फिर, शर्म महसूस करती हूँ, मैं हूँ जो लेटे हुए मरती हूँ   
गले में खड़खड़ के साथ। मैं पापी हूँ,
मैं संत हूँ। मैं प्रेमिका हूँ और मैं ही
ठुकरायी हुई हूँ। मेरी कोई ऐसी खुशियां नहीं है जो तुम्हारी नहीं हैं, कोई
दर्द ऐसे नहीं जो तुम्हारे नहीं। मैं भी खुद को मैं ही बुलाती हूँ।

- कमला दास। Summer in Calcutta किताब से अंग्रेजी से अनूदित।
Kamala Das was a fierce poet from Thrissur, Kerala. She challenged patriarchy openly in her poems. An introduction is one such poem where she fiercely criticizes patriarchy. One of my Malayali friend told me that many orthodox family in Kerala won't allow their kids to read Kamala Das. Nothing could describe the author's boldness more. 

Monday, April 6, 2020

मैं तुम्हें प्यार करता हूँ सुबह के दस बजे - I love you at ten in the morning - Jaime Sabines - Hindi Translation

मैं तुम्हें प्यार करता हूँ सुबह के दस बजे, ग्यारह बजे, और भरी दोपहर में।  मैं तुमसे प्यार करता हूँ अपनी पूरी रूह से और जिस्म से, कभी कभी, बारिश भरे दिन में।  लेकिन फिर दो बजे, या फिर तीन बजे, जब मैं हम दोनों के बारे में सोचने लगता हूँ , और तुम सोच रही होती हो खाने के बारे में या बचे हुए काम के बारे में, या उस आराम के बारे में जो तुम्हारे पास नहीं है, तो मैं मूक सा होकर तुमसे नफ़रत कर रहा होता हूँ।  जिसमें से आधी नफ़रत मैंने खुद के लिए बचायी होती है।

बाद में मैं तुम्हे फिर से प्यार करता हूँ।  जब हम बिस्तर में लेटे होते हैं, तो मुझे महसूस होता है कि तुम मेरे लिए बनी हो, कि तुम्हारे घुटने और पेट मुझे ये बात जता रहे हैं, कि मेरे हाथ ये बात मान चुके हैं, और यहां कोई और जगह नहीं है जहाँ मुझे जाना चाहिए, जहाँ मुझे ज़रूर जाना होगा, सिवाय तुम्हारे बदन के। तुम पूरी के पूरी मेरे सामने आती हो, और उस पल में हम दोनों गुम हो जाते हैं, हम ईश्वर के मुँह में घुस जाते हैं, तब तक जब तक कि मैं तुम्हे कहूँ कि मुझे भूख लगी है या फिर मुझे नींद आ रही है।
-मैं तुम्हें प्यार करता हूँ सुबह के दस बजे (Jaime Sabines) 
# I love you at ten in the morning - Jaime Sabines - Hindi Translation
Translated from English. Originally In Spanish: Te quiero a las diez de la mañana.
Jaime Sabines was a Mexican contemporary poet who transformed poetry into a different genre. He is one of the most admired poets in Latin America. Besides Neruda, I think his love poems are the most loved ones in Latin America. 

तुम्हारे हाथ - Your Hands- Pablo Neruda - Hindi Translation

जब तुम्हारे हाथ बढ़ते हैं
मेरी तरफ, प्यार,
तो उड़ते उड़ते क्या लाते हैं मेरे लिए वो ?
क्यों रुक जाते है वो
मेरे अधरों पे, अचानक,
क्यों मुझे लगता है ऐसे
जैसे पहले
मैंने उन्हें छुआ है
जैसे पहले वे मौजूद थे
गुजर चुके थे
मेरे मस्तक से, मेरी कमर से.

उनकी नर्मियाँ
वक़्त के साथ उड़ान भरती हुई आईं
समंदर से होते हुए, कुहासे के ऊपर से,
बसंत के पार,
और जब तुमने रक्खे
मेरे सीने पर अपने हाथ,
तो मैंने पहचान लिया
उन सुनहरे फाख्ते के पंखो को
मैंने पहचान लिया
उनकी मिट्टी को
और कनक सरीखे उस रंग को.

सालों साल ज़िन्दगी भर
मैं ढूंढता रहा उन्हें इधर-उधर.
मैं सीढ़ियों पर चढ़ गया,
भित्तियों को पार किया,
रेलगाड़िया मुझे ले गईं
पानी मुझे बहा लाया,
और अंगूर की त्वचा में
मुझे लगा कि मैंने तुम्हें छू लिया है.
लताओं में अचानक
मुझे तुम्हारा स्पर्श मिला,
बादामों ने मुझे बता दिया
तुम्हारी छुपी कोमलता का,
जब तक तुम्हारे हाथ
मेरी सीने पे पहुंच नहीं गए
और तहां दो पंखों की तरह
उन्होंने अपनी यात्रा पूरी कर ली.

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Originally in Spanish- Tus Manos Translated from English from the book The Captain's verses.


[Neruda was one of the most loved poet of 19th century. People who read his poems keep falling in love with his poems even today. 'Your Hands' is the poem he wrote for his wife, Mtilde Urutia, in his secret collection: Los versos del Capitan (The Captain's verses).
Neruda's poems has not been translated much in Hindi. With this poem, I hope to start translating some of my favourite poems in Hindi.]

मेरे मोज़ों का स्तोत्र - पाब्लो नेरुदा Ode to My Socks - Pablo Neruda - Hindi Translation

मारू मोरी मुझे लेकर आयी
एक जोड़ी
मोजे
जो उसने खुद बुने थे 
अपने बुनकर हाथों से
दो मोजे
खरगोश सरीखे नर्म

मैंने अपने पैर खिसका लिए
उन में
जैसे कि हो वें 
दो डिब्बियां
सांझ सरीखी 
और बकरी की त्वचा जैसे धागे
से बुनी हुई

जज़्बाती से मोजे,
जिनपे मेरे पैर हों
दो मछलियाँ बुनी हुई
ऊन की,
या दो लंबी शार्क
समुद्री-नीली
जुड़े हुईं
एक सुनहरे धागे से,
या फिर जैसे
दो बड़े मैना
या दो तोपें :
मेरे पैर
नवाज़े गए
इस तरह
इन
आसमानी
मोजों
से।

वो थे
बहुत सुन्दर
पहली बार
मेरे पैर मुझे लग रहे थे
नाक़ाबिल इनके
जैसे दो मद्धम
फायरमैन, फायरमैन
जो अयोग्य हों
उस बुनी हुई आग के,
उन चमकदार मोज़ों के।

फिर भी
मैंने खुद को रोके रखा 
उन्हें कहीं संभाल के रखने की
तेज़ ख्वाहिश से
जैसे स्कूली बच्चे
रखते है
जुगनुओं को,
जैसे बुद्धिजीवी
इकठ्ठा करते हैं
महान पुस्तकों को,
मैंने विरोध किया
अपने आवेग का
कि उन्हें डाल दूँ
एक सुनहरे
पिंजरे में
और हर दिन उन्हें दूँ
चिड़िया का दाना
और गुलाबी तरबूज के टुकड़े।

जंगल में गए
खोजकर्ताओं की तरह
जो जब 
किसी बहुत दुर्लभ
हरे हिरण को
आग के हवाले करते हैं
और खाते हैं उसे
शर्म के साथ,
मैंने अपने पाँव खींचे
और पहन लिए
शानदार
मोज़े
और फिर मेरे जूते।

मेरे इस गीत की
सीख है कि
खूबसूरती हो जाती है
दोगुनी खूबसूरती
और जो अच्छा है
वह दोगुना है
अच्छा
जब यह सर्दियों में
ऊन से बने  हुए
दो मोजों की बात हो। 

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अंग्रेजी से अनूदित। In Español: Ode a los Calcetines.

Ode To The Onion by Pablo Neruda (Hindi Translation)

 प्याज, चमकीले गोल मोल, तुम्हारी सुंदरता  पंखुड़ी दर पंखुड़ी तैयार हुई है, मोतियों के पैमाने से  तुम बड़े हुए,  और रहस्यमयी गहन धरती के मध्य तु...