Wednesday, September 13, 2023

Ode To The Onion by Pablo Neruda (Hindi Translation)

 प्याज,

चमकीले गोल मोल,

तुम्हारी सुंदरता 

पंखुड़ी दर पंखुड़ी तैयार हुई है,

मोतियों के पैमाने से 

तुम बड़े हुए, 

और रहस्यमयी गहन धरती के मध्य

तुम्हारा पेट ओस से गोल हो गया।


धरती के नीचे

चमत्कार सा 

घटित हुआ 

और तुम्हारा अनाड़ी 

हरा अंकुर बाहर आया,

और बगीचे में सूक्ष्म तलवारो की तरह

तुम्हारे पत्ते पैदा हुए,

धरा ने अपनी शक्ति लगा दी

तुम्हारी पारदर्शिता दिखाने में

 तुम्हें बनाने में 

जैसे आसमान में कोई ग्रह 

जो चमकने के लिए ही बना हो,

जैसे कोई स्थिर नक्षत्र,

जैसे पानी का गोल गुलाब,

जो सज रहा हो गरीब की टेबल के मध्य। 


तुम हमें दुख पहुंचाए बिना रुला देते हो 

वैसे तो मैंने हर उस चीज़ की प्रशंसा की है जो अस्तित्व में है,

लेकिन मेरे लिए, प्याज, तुम हो - 

चमकदार पंखों वाली चिड़िया से भी अधिक सुंदर,

स्वर्गीय ग्लोब,

प्लैटिनम के बने प्याले,

बर्फीले रत्नज्योति का अचल नृत्य। 


मिट्टी की सुगन्ध

जीवित रहती है

तुम्हारे क्रिस्टलीय स्वभाव में।

Saturday, September 19, 2020

Ode to the cat : Pablo Neruda : Hindi Translation

 लंबी पूंछ वाले 

सारे जानवर अधूरे थे 

और उनकी किस्मत में था दुर्भाग्य।


थोड़ा-थोड़ा करके 

उन्होंने खुद का एक चित्र बनाया,

एक परिदृश्य,

अपनी चित्तियाँ, सुघड़ता, और उड़ान जोड़ कर।


लेकिन बिल्ली,

केवल बिल्ली

गर्व से भरपूर प्रकट हुई थी:

वो पूरी सक्षम पैदा हुई थी,

अकेले चलते हुए और यह जानते हुए कि वह क्या चाहती है।


आदमी बनना चाहता है मछली या फिर पक्षी,

सांप को चाहिए कि उसके पंख हो 

कुत्ते को लगता है जैसे कि वो हो एक बेढंगा शेर,

इंजीनियर चाहता है कवि बनना,

मक्खी कोशिश करती है और तेज उड़ने की,

और कवि मक्खी की नकल करने की कोशिश करता है,

लेकिन बिल्ली

सिर्फ बिल्ली बने रहना चाहती है

और कोई भी बिल्ली सिर्फ और सिर्फ बिल्ली होती है

अपनी मूंछों से लेकर अपनी पूंछ तक,

अपनी आशावादी दृष्टि से चूहे को खोजने से लेकर 

किसी असली बात तक

रात से लेकर उसकी सुनहरी चमकती आँखों तक।



बिल्ली के शरीर की रचना जैसा 

कोई भी संगम नहीं है। 

चाँद और फूल के पास

नहीं है ऐसा कोई भाव। 

बिल्ली तो सूरज या पुखराज की तरह है

और उसकी लचीले आकार की 

सुदृढ़ और कोमल रेखाएं

ऐसी हैं

जैसे किसी बड़े जहाज के मुखङे की रेखाएं हो ।

उसकी पीली आँखें

जैसे हो एक खांचा

रात के समय सोने के सिक्के को गढ़ने के लिए बना हुआ।


बिल्ली है जैसे की 

कोई साम्राज्य न होते हुए भी एक छोटी साम्राज्ञी  

कोई राज्य ना होते हुए भी एक विजेता, 

जैसे किसी बैठक कक्ष की बाघ,

जैसे किसी गुप्त आकाश की सुल्ताना,

जैसे छत पर बनी कोई सुन्दर रंगोली,

जैसे किसी तूफान में प्रेम की हवा। 

वो जब अपने आस पास की जगह पर

दावा करती हुई 

जमीन पर रखती है 

चार नाजुक पैर,

तो संदेह से सूंघती है 

उस हर एक चीज को जो पृथ्वी पर हो 

क्योंकि सब कुछ

बहुत अशुद्ध है

उसके निर्मल विशुद्ध पैरों के लिए।


वो है 

घरेलू, पर आजाद और जंगली सी, 

अभिमानी, रात के उल्लास सी,

आलसी और जिम्नास्टिक भी,

कभी किसी दूसरे ग्रह से आयी हुई सी,

बहुत गहरी सी,

शयनकक्षों की गुप्त चौकीदार कभी

तो कभी गुम हो चुके मखमल के स्पर्श सी,

निश्चित रूप से 

कोई पहेली नहीं है

उसके तौर तरीको में,

शायद वो बिलकुल भी छुपी रुस्तम नहीं हैं,

हर कोई उसकी आदतें जानता है

और वो सबसे कम 

रहस्यमयी बाशिंदा होगी। 

शायद हर किसी को इस बात का विश्वास है 

हर कोई मानता है खुद को

मालिक, रखवाला,

या फिर चाचा

किसी न किसी बिल्ली का। 

हर किसी की बिल्ली है 

उसकी सखा

उसकी सहयोगी,

उसकी शिष्य,

या एक अज़ीज दोस्त। 


पर मैं नहीं।

मैं नहीं मान पाऊंगा ये सब 

क्यूंकि मैं बिल्ली को नहीं समझ पाता।

मुझे और सब कुछ पता है- 

जिंदगी और उसके पहलूओं के बारे में,

समुद्र और अगम्य शहरो की कहानियाँ,

वनस्पति विज्ञान,

पुराने अंतरमहल और वहाँ की सनकी बातें,

गणित का जोड़ और गुणा-भाग,

दुनिया भर के ज्वालामुखी,

मगरमच्छ के अवास्तविक कवच,

फायरमैन की अनजान करुणा,

पुजारियों की नीली विरासत,

मुझे इन सब के बारे में पता है 

लेकिन मैं एक बिल्ली को नहीं समझ सकता

मेरे तर्क उसके वैराग पर हार जाते हैं। 

जैसे उसकी आँखों में सुनहरे अंक भरे हुए हों।

Sunday, June 14, 2020

भागी हुई लड़कियां / आलोक धन्वा

अगर एक लड़की भागती है
 तो यह हमेशा जरूरी नहीं है
 कि कोई लड़का भी भागा होगा

 कई दूसरे जीवन प्रसंग हैं
जिनके साथ वह जा सकती है
कुछ भी कर सकती है
महज जन्म देना ही स्त्री होना नहीं है

तुम्हारे उस टैंक जैसे बंद और मजबूत
घर से बाहर
लड़कियां काफी बदल चुकी हैं
मैं तुम्हें यह इजाजत नहीं दूंगा
कि तुम उसकी सम्भावना की भी तस्करी करो

वह कहीं भी हो सकती है
गिर सकती है
बिखर सकती है
लेकिन वह खुद शामिल होगी सब में
गलतियां भी खुद ही करेगी
सब कुछ देखेगी शुरू से अंत तक
अपना अंत भी देखती हुई जाएगी
किसी दूसरे की मृत्यु नहीं मरेगी

-- आलोक धन्वा की कविता है और हिंदी में ही लिखी हुई है। पहली दफा रवीश कुमार के कार्यक्रम में सुनी और पसंद आयी। कविता कोष में पूरा भाग उपस्थित है.

Monday, June 8, 2020

मैं कभी पीछे नहीं हटूंगी - Meena Keshwar Kamal - I'll never return - Hindi Translation


मैं वो औरत हूँ जो जाग उठी है
मैं अपने जलाये गए बच्चो की राख से जागी हूँ और एक तूफ़ान बनी हूँ
मैं अपने भाई के खून की बहती धारा से जागी हूँ
मेरे देश के आक्रोश ने मुझे शक्ती दी है
मेरे तबाह और जला दिए गए गाँवों ने मुझे दुश्मन की नफरत से भर दिया है
मैं वो औरत हूँ जो जाग उठी है
मैंने अपना रास्ता खोज लिया है और मैं कभी पीछे नहीं हटूंगी।
मैंने अज्ञानता के बंद दरवाजे खोल दिए हैं
मैंने सोने के कंगनों को अलविदा कह दिया है
मेरे देशवाशियो, मैं अब वो नहीं हूँ जो मैं हुआ करती थी
मैं वो औरत हूँ जो जाग उठी है
मैंने अपना रास्ता खोज लिया है और मैं कभी पीछे नहीं हटूंगी।
मैंने नंगे भटकते बेघर बच्चो को देखा है
मैंने मेहँदी लगे हाथो वाली दुल्हनों को मातमी पहरन में रोते देखा है
मैंने जेलों की ऊँची दीवारो को अपने मरभुक्खे पेट से आजादी को निगलते देखा है
स्वतंत्रता और बहादुरी की कविताओं के बीच अब मेरा पुनर्जन्म हुआ है
खून और विजय की लहरों के बीच
मैंने आज़ादी के गीत को अपनी आखिरी सांस तक के लिए सीख लिया है
मेरे देशवासियों, मेरे भाइयों, मुझे अब कमज़ोर और असमर्थ ना समझना
मैं अब अपनी पूरी ताकत के साथ अपनी जमीं की स्वतंत्रता के लिए तुम्हारे साथ हूँ
मेरी आवाज अब हज़ारो जाग चुकी औरतों के साथ घुल चुकी है
मेरी मुट्ठियाँ अपने हज़ारो देशवासियों की मुट्ठियो के साथ तन चुकी है
तमाम मुसीबतों की, तमाम गुलामी की बेड़ियों को तोड़ डालने के लिए
तुम्हारे साथ मैंने अपनी जमीं की आज़ादी के लिए कूच कर लिया है
मेरे देशवासियों, मेरे भाईयों, मैं अब वो नहीं हूँ जो मैं हुआ करती थी
मैं वो औरत हूँ जो जाग उठी है
मैंने अपना रास्ता खोज लिया है और मैं कभी पीछे नहीं हटूंगी।

Meena Keshwar Kamal (1956-1987) was born on February 27, 1956 in Kabul, Afghanistan. She was a fierce poet and revolutionary political activist, feminist, women's rights activist. During her school days, students in Kabul and other Afghan cities were deeply engaged in social activism and rising mass movements. She devoted her life as a social activist for organizing and educating women. Later she founded the Revolutionary Association of the Women of Afghanistan (RAWA).

Translated from English version:  I will never return . Originally written
in Persian.

Friday, June 5, 2020

ये तुमसे पूछने के लिए है (This Is to Ask You To) - Rebecca Vedavathy

(विलियम कार्लोस विलियम की कविता 'This is just to say' के जवाब में )

एक कटे हुए पूलम के मन की कल्पना करो या बेहतर उस इंसान की मनोदशा सोचो जिसके पूलम विलियम कार्लोस विलियम्स उस भाग्यशाली सुबह आइसबॉक्स से खा गया. चिड़चिड़ाहट उस लड़की का दूसरा नाम होगा। 'वो लड़की', क्योंकि जब मैं तुम्हारे साथ नाराज होती हूं तो मैं वो लड़की बन जाती हूं। अगली सुबह उठते हुए, मेरे अपने पूलमो को तुमसे हार जाने कि वजह से। वो लड़की मैं हूँ।

फ्रेंच बेकरी की दुकान के पास से गुजरते हुए तैयार होती ब्रेड की खुशबू छोड़कर वो किसानो की मण्डी की ओर गयी होगी, जहां उसने बच्चो के मुँह को लाल रंग से भर देने वाले पूलम ढूंढने थे। सफेद रूमाल रात के आसमान में गहरा हो रहा होगा। वो हंसमुख फल विक्रेता द्वारा उसे दिए गए फल को चखने लगी होगी। उसकी लालसा की ठुड्डी पर मिठास फ़ैल रही होगी। घर पहुंचने पर, उसने पूलम के गुच्छों को आइसबॉक्स में भर दिया होगा।

जैसे एक मछली पकड़ने का हुक -
उसकी सांस रोक रक्खा होगा
आने कल के लिए

अगली सुबह, आँखों में चमक लिए, विलियम्स वो पूलम खा गया। उसके बदखत लिखते हुए हाथ उसे नहीं जगा पाए। जब उस लड़की की आखें खुलीं, तो उसके सामने एक कविता थी - इतनी छोटी और इतनी चालाक। 

उसकी घिसती
अंदरूनी जांघों की
उभरती आवाजें

पर तुम मुझे एक कविता नहीं छोड़ते हो, बल्कि किसी भीड़ भरे बाज़ार में, तुम खुद एक कविता हो जो सीढ़ियों की उड़ान भर रही है, अनजाने में, तुम्हारा चेहरा मेरी कविता के छंदो के दृश्यों में कहीं अटक गया है। एक पल के लिए हमारी आँखें -  उन बिन्दुओं सी हो जाती हैं जो हमारे राज में भीगे हुए पूलम के भूरे डंठलों को जोड़ रहे हों। बाद में, फल विक्रेता के पीछे गली में, हमारे होंठों का मुहाना मिल जाता है। पूलम भूले हुए, पूलम चुराये हुए, पूलम मीठे से, पूलम भरे उभरते से ...

~ Rebecca Vedavathy is an Indian poet from Bangalore. She is one of the rising star in Indian poetry. Here is the original English version of the poem.

Wednesday, May 20, 2020

The infinite one - Pablo Neruda - Hindi Translation

क्या तुम इन हाथो को देख रही हो? उन्होंने नाप ली है
धरती, और कर लिया है अलग
खनिज और अनाजों को,
उन्होंने शान्ति और युद्ध दोनों किये हैं,
वे सारे समुद्रो और नदियों की
दूरियों को ध्वस्त कर चुके हैं,

और फिर भी,
वो जब तुमसे गुजरते हैं,
प्रिये,
कनक के दाने की तरह निगलते नहीं
वो तुम्हे, ना ही चाहते हैं समा लेना तुम्हे,
बल्कि वो थकना चाहते हैं ढूंढते हुए
दो जुड़वा फ़ाख्तों को
जो उड़ते या आराम फरमा रहे होते हैं तुम्हारे स्तनों में,
वे तुम्हारे टांगों तक की दूरियां तय करना चाहते हैं,
वे तुम्हारे कमर की रोशनी में कुंडल करना चाहते हैं.

मेरे लिए तो तुम उन खजाने से बहुत ज्यादा भरी हो
जो समंदर या उसकी शाखाओ में होते होंगे
तुम हो धवल, नीलम, विस्तृत,
प्राचीन धरा सी.

इन इलाको में 
तुम्हारे पैरो से मस्तक तक 
घूमते घूमते घूमते 
मै अपना जीवन बिताऊंगा।

Translated from English - The infinite one - The Captain's verses
Originally in Español - La Infinita  (Los versos del Capitan)

Friday, May 1, 2020

उपभोग के द्वार- Gateway to Pleasure - by Jhilmil Breckenridge - Hindi Translation


मेरे शरीर में एक टूटा हुआ प्रवेश द्वार है
कितने लोग प्रवेश कर सकते हैं
किसी शरीर में, उसके टूटने से पहले?

उपभोग का द्वार
घरों का द्वार
सुरक्षा का द्वार

मेरा शरीर उसका घर था, उसने कहा
उसकी उपस्थिति से घुटती हुई, मैं निगल गयी
चीखें, क्योंकि वैवाहिक बलात्कार

कानूनी है, इसे मुस्कान के साथ अनुमति प्राप्त है,
इसके लिए घर सजाये जाते हैं, द्वारों का उत्सव
होता है। तुम पुनर्निर्माण कैसे कर पाओगी इनका

रक्त और अपरा के बीच?
सिंदूर और शहनाई के बीच?
रात दर रात, मैंने उसके घर को सजाया -

मेरे पैरों पर अलता, हाथों पर मेंहदी लगायी।
रात दर रात उसके हाथ खड़खड़ाते रहे
इस प्रवेश द्वार के ताले

मेरे शरीर में एक टूटा हुआ प्रवेश द्वार है
मेरे शरीर में एक टूटा हुआ प्रवेश द्वार है।

- Jhilmil Breckenridge
अंग्रेजी से अनुवाद 

Ode To The Onion by Pablo Neruda (Hindi Translation)

 प्याज, चमकीले गोल मोल, तुम्हारी सुंदरता  पंखुड़ी दर पंखुड़ी तैयार हुई है, मोतियों के पैमाने से  तुम बड़े हुए,  और रहस्यमयी गहन धरती के मध्य तु...